पितृ पक्ष” :* श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के प्रकार जानकर ही करें श्राद्ध, वरना पितृ नहीं हो पाएंगे तृप्त!
के.वी.शर्मा, संपादक,
धर्मसिन्धु में श्राद्ध के लिए सिर्फ पितृपक्ष ही नहीं, बल्कि 96 कालखंड का विवरण प्राप्त होता है, जो इस प्रकार है- वर्ष की 12 अमावास्याएं, 4 पुणादि तिथियां, 14 मन्वादि तिथियां 12 संक्रान्तियां, 12 वैधृति योग, 12 व्यतिपात योग, 15 पितृपक, 5 अष्टका, 5 अन्वष्टका और 5 पूर्वेद्यु:। श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक रहता है। इस साल अंग्रेंजी कैलेंडर अनुसार श्राद्ध (17सितंबर से 02अक्टूबर 2024)तक यह पर्व चलेगा। आइए जानते हैं कि श्राद्ध कर्म के कितने प्रकार होते हैं।
1. मुख्यत: दो प्रकार :- पार्वण और एकोदिष्ट।
(अ)*पार्वण श्राद्ध : पार्वण श्राद्ध में पिता, दादा, पड़-दादा, नाना, पड़-नाना तथा इनकी पत्नियों का श्राद्ध किया जाता है।पार्वण श्राद्ध अपराह्न काल का होता है जो मृत्यु के दिन सूर्योदय के बाद 10वें मुहूर्त से लेकर 12वें मुहूर्त तक किया जाता है।
(ब)* एकोदिष्टि श्राद्ध : इसमें गुरु, ससुर, चाचा, मामा, भाई, बहनोई, भतीजा, शिष्य, फूफा, पुत्र, मित्र व इन सभी की पत्नियों का श्राद्ध किया जाता है। एकोदिष्टि श्राद्ध मध्याह्न काल में 7वें मुहूर्त से लेकर 9वें मुहूर्त तक मृत्यु तिथि पर किया जाता है।
श्राद्ध के 12 प्रकार :- भविष्यपुराण में 12 प्रकार के श्राद्ध बताए गए हैं।
1.* नित्य- रोज किए जाने वाला श्राद्ध।
2.* नैमित्तिक- वर्ष में एक बार तिथि विशेष को किया जाने वाले श्राद्ध।
3.* काम्य- किसी कामना की पूर्ति हेतु किया जाने वाले श्राद्ध।
4.* नान्दी- किसी मांगलिक अवसर पर किया जाने वाला श्राद्ध।
6.* सपिण्डन- त्रिवार्षिक श्राद्ध जिसमें प्रेतपिण्ड का पितृपिण्ड में सम्मिलन कराया जाता है।
7.* गोष्ठी- पारिवारिक या स्वजातीय समूह में जो श्राद्ध किया जाता है। पारिवार के लोगों के एकत्र होने पर किया जाता है।
8.* कर्मांग- षोडष संस्कारों के निमित्त किया जाने वला श्राद्ध।
9.* दैविक- देवताओं के निमित्त किया जाने वाला श्राद्ध।
पितृपक्ष जिसे श्राद्ध भी कहा जाता है अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। पितरों की पूजा और तर्पण आदि कार्यों के लिए श्राद्ध पक्ष बहुत ही उत्तम माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं। इसलिए इन दिनों में उनके श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 8 सितंबर से हो रहा है और 21 सितंबर तक चलेगा। अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ- तर्पण और श्राद्ध कर्म करना नितान्त आवश्यक है। इससे स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख- शान्ति, वंशवृद्धि एवं उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है। श्रद्धापूर्वक किए जाने के कारण ही इसका नाम श्राद्ध है। इस बात का भी ध्यान रहे कि श्राद्धकृत्य अपराह्नकाल व्यापिनी तिथि में किए जाते हैं।

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