. के.वी.शर्मा, संपादक,
काबुल/इस्लामाबाद ( विशाखापत्तनम दर्पण समाचार)- पाकिस्तान के साथ हालिया खूनी संघर्ष के बाद तालिबान शासित अफगानिस्तान ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति सीमित करने की तैयारी कर ली है। अफगान सूचना मंत्रालय के अनुसार, तालिबान के सर्वोच्च नेता मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने कुनार नदी पर जल्द से जल्द बांध बनाने का आदेश दिया है।
यह कदम भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के ठीक बाद उठाया गया है, जिसने पाकिस्तान की मुश्किलें पहले ही बढ़ा दी हैं।
अफगान जल और ऊर्जा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि सर्वोच्च नेता अखुंदजादा ने मंत्रालय को कुनार नदी पर बांध निर्माण जल्द शुरू करने का निर्देश दिया है। खास बात यह है कि उन्होंने विदेशी कंपनियों का इंतजार करने के बजाय घरेलू अफगान कंपनियों के साथ ही करार करने का आदेश दिया है।
उप सूचना मंत्री मुहाजेर फराही ने गुरुवार (23 अक्टूबर) को ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर यह जानकारी साझा की। लंदन स्थित अफगान पत्रकार सामी यूसुफजई ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “भारत के बाद अब शायद अफगानिस्तान की बारी है कि वह पाकिस्तान की जल आपूर्ति को सीमित करे।”
अफगानिस्तान का यह फैसला हाल ही में दोनों देशों के बीच हुए सीमा पर युद्ध के बाद आया है, जिसमें सैकड़ों लोगों के मारे जाने की खबर है।
इसके अलावा, यह कदम भारत के उस फैसले के बाद आया है, जब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या के बाद, भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था, जिसके तहत वह तीन पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के साथ साझा करता था।
क्यों अहम है कुनार नदी?
480 किलोमीटर लंबी कुनार नदी अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वतों में पाकिस्तान सीमा के पास से शुरू होती है। यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ी और सबसे अधिक जल वाली सीमापार नदी है। यह अफगानिस्तान के कुनार और नंगरहार प्रांतों से बहते हुए पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में प्रवेश करती है, जहां इसे ‘चित्राल नदी’ के नाम से जाना जाता है। यह नदी जलालाबाद शहर के पास काबुल नदी में मिलती है, जो बाद में अटक के पास सिंधु नदी में मिल जाती है।
यह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लिए सिंचाई और अन्य जल आवश्यकताओं के लिए जीवन रेखा मानी जाती है। इस बांध के बनने से पाकिस्तान के इस प्रांत में पानी का गंभीर संकट पैदा हो सकता है।

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