कार्तिक के दीपक आमतौर पर बत्तियों से बनाए जाते हैं। रूई की बत्तियों को गाय के घी में भिगोकर केले के छिलकों में रखकर जलाया जाता है।
🕉️कार्तिक मास में उमरा के दीपक का विशेष महत्व है। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि आंवले से दीपक जलाने से सभी शुभ फल प्राप्त होते हैं और इससे नवग्रहों का निवारण भी होता है।
आंवला गोल होने के कारण, बहुत से लोगों के मन में यह संशय रहता है कि इसमें दीपक कैसे जलाएँ।
अब आइए जानें कि आंवले से दीपक कैसे जलाएँ।
🕉️आंवले का दीपक जलाने से बहुत लाभ होता है।
आंवले के पेड़ को साक्षात भगवान का रूप माना जाता है।
कहा जाता है कि आंवले के वृक्ष में शिव, ब्रह्मा और सभी देवताओं का वास होता है।
🕉️खासकर दशमी, एकादशी, सोमवार और पूर्णिमा तिथियों पर आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाए जाते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन, यदि आप एक आंवला लें और उसके बीच में एक गोला काट दें, तो एक दीपक बनता है।
इस प्रकार आंवले का दीपक जलाने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्वानों का कहना है कि इससे घर से बुरी आत्माएँ दूर होती हैं। (के.वी. शर्मा, विशाखापत्तनम)

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