माया महा ठगिन हम जानी , माया एवं प्रेम के अंतर को समझते हुए आज कथा वक्ता मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी ने कहा काम, क्रोध,मद और लाभ ये चार नर्क के मार्ग हैं।
माया ने नारद को भी चक्कर में डाल दिया और संत शिरोमणि बाबा नारद भी विवाह न हो पाने का वियोग नहीं सह पाए और श्री हरि विष्णु को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया जिसके कारण श्री हरि को श्री राम जी का अवतार लेकर सीता जी के वियोग में वन वन भटकना पड़ा ।
*हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृग नयनी ।*
भगवान शिव एवं माता पार्वती के कथा को सुनाते हुए श्रीमती वक्ता ने कहा कि भगवान शिव ने सती को सीता जी के रूप धारण करने पर उन्होंने सती जी का परित्याग कर दिया एवं बामांग में न बैठा कर अपने सम्मुख बैठाया जिसके कारण मां सती को अपने शरीर का त्यागना पड़ा ।कथा मंच के कुशल खेवहिया पूर्वांचल कीर्तन मंडली एवं पूर्वांचल पूजा समिति विशाखापत्तनम के संस्थापक एवं सूत्रधार श्री भानु प्रकाश चतुर्वेदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा हम रहे न रहें पर ये कथा रूपी गंगा विशाखापत्तनम में ऐसे ही निरंतर धारा प्रवाहित होती रहनी चाहिए ताकि हमारा सनातन धर्म ध्वज सदैव लहराता रहे ।
कथा वक्ता एवं वादक कलाकारों ने भक्तों के तन मन को भक्ति रस में सराबोर कर दिया । क्या स्त्री ,क्या पुरुष सबने जमकर नृत्य किया । और जीवन को पुण्यमय करते हुए भगवान श्री हरि से अपने अपने जीवन में सुख, समृद्धि की कामना की ।
पूर्वांचल कीर्तन एवं पूजा समिति श्री दुर्गा मंदिर त्रिनाथ पुरम विशाखापत्तनम के अध्यक्ष श्री के के सिंह , पूजा अध्यक्ष, श्री राजेंद्र केसरी, बहुत पूर्व अध्यक्ष श्री रुद्र नारायण सिंह सलाहकार,श्री शंकर कुमार श्री बरुण जी, श्री उत्तम चौरसिया श्री ए के सिंह राठौर, कोषाध्यक्ष श्री राम रतन, श्री सचिन वैष्णव, प्रचारक श्री डीके सिंह, श्री एस डी राय, श्री अजय कुमार जी , श्री प्रियदर्शी, श्री गीता सिंह, श्री एम एस पंवार, श्री सोनी मीणा , एस पी यादव, आर के यादव, श्री मनोज कुमार, श्री अमर सिंह तोमर, श्री अशोक चौरसिया एवं अन्य सहयोगी भक्तों के परिश्रम का फल है कि पहली बार विशाखापत्तनम में यह भक्त माल कथा भक्तों के कल्याणार्थ संभव हो सकी ।कथा में तन ,मन ,धन से शहर के कोने कोने से सहयोग करने वाले समस्त भक्त साधुवाद के पात्र हैं। जिसमें विशेषकर माताओं बहनों का सहयोग सराहनीय है।
डॉ राघवेंद्र मिश्रा
कार्यपालक संपादक


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