यह जीवन है,
खुले पन्ने के समान,
कभी-कभी जीवन में,
दोस्ती बहुत याद आती,
जब चेहरे को,
पढ़ाने लगते हैं,
तो कुछ खास बातें,
भी याद आती है,
अगर दोस्त नहीं,
नहीं मिले तो भूख नहीं लगती,
फिर पल भर सोचना पड़ता है,
जब पुरानी बातें याद आती,
कभी-कभी उलझन,
सा लगने लगता,
लेकिन पल भर में,
समस्या सुलझते हैं,
अगर बीते बातो,
पर गौर करें तो,
आंखें भर आती है,
फिर वह दोस्ती याद आ जाती,
- के वी शर्मा,
संपादक,
विशाखापट्टनम दर्पण हिंदी पत्रिका,
विशाखापट्टनम,

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