Skip to main content

*SIR की दिलचस्प बातें:* *अक सूत्रशास्त्र की कलम से!*

SIR का फॉर्म क्या आया—* पूरा समाज पानी पूरी वाली लाइन की तरह। तीन अक्षरों का फॉर्म, लेकिन इतना गहरा कि “हम तो सब देखते हैं” का भ्रम अच्छे से फट से गुट से गत से गुज़ारा

*1️⃣ रिलेशनशिप रियलिटी चेक:*

SIR ने साफ-साफ बताया कि - माँ-पिता, दादा-दादी ही असली रिश्ते हैं, बाकी सब “जन-पहचान लिस्ट” में आते हैं।

और मेजदार बात ये की— शादी के बाद बेटियाँ कितनी भी दूर चली जाएँ, रिश्ता माँ से ही साबित होता है— काजगों में सौजाज, में दिल में।

*2️⃣ टूटे रिश्तों में नेटवर्क सिग्नल वापस:*

जिन लोगों ने सालों से बात नहीं की, वे अब फॉर्म भरने के नाम पर अपनी पत्नियों के घर जा रहे हैं, बेटियां गांव लौट रही हैं, लोग डॉक्यूमेंट ढूंढ रहे हैं, फैमिली ट्री ढूंढ रहे हैं। SIR ने वो रिश्ते जोड़ दिए जिन्हें WhatsApp भी नहीं जोड़ पाया।

*3️⃣ धर्म का ब्रह्म… SIR के सामने फेल:*

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई — सब एक काउंटर पर लाइन में खड़े होकर, एक पेन से फॉर्म भर रहे हैं। SIR ने वो कर दिखाया जो नेताओं की रैलियां नहीं कर पाईं।

*4️⃣ पुरानी यादें रिवाइंड मोड में:*

लोग आज वही जगह ढूंढ रहे हैं— मां-बाप रहा करते, दादा-दादी की छाया थी, ऊपर से बफन की दुझूट। किराएदार उसी मकान मालिक से उसके मां-बाप का नाम पूछ रहा है।

जिन्हें कभी किराया देना पड़ा था। इतिहास अब फेसबुक पोस्ट नहीं रहा — यह घर-घर जाकर तलाश बन गया है।

*5️⃣ पढ़ाई का असली मौका सामने है:*

SIR ने बताया— यह दुनिया पैसे नहीं, डॉक्यूमेंट्स मांगती है।

पढ़ाई सिर्फ़ नौकरी नहीं है, यह अपने वंश और पहचान को जानने की काबिलियत भी है।

*6️⃣ पुरखा सिर्फ़ एक फ़ोटो नहीं है—यह सबूत है:*

SIR ने साबित कर दिया है कि— माता-पिता मरते भी हैं, तो कागज़ों में, यादों में और वंश में ज़िंदा रहते हैं।

इसलिए:
उन्हें याद रखें, उनका सम्मान करें, और उन्हें अपनी जड़ें भी बताएं।

*7️⃣ सबसे कड़वा सच:*

जब की की से गुढ़ा — “आपके दादा-दादी, नाना-नानी का नाम?” तो आधे लोग नेटवर्क पर सर्च करते हैं, बाकी आधे गूगल नहीं करते, मम्मी को बुलाते हैं। यह सिर्फ़ जानकारी नहीं है — यह कटी हुई जड़ों की निशानी है।

निष्कर्ष*
*SIR ने अभी तो शुरू किया है…*
*कितनी कहानियाँ, कितनी कहानियाँ और कितनी कहानियाँ सामने आएंगी— बस इंतज़ार करो, देश भर में वंशावली का महाकाव्य वाला है वाला है।* 

के.वी. शर्मा एडिटर विशाखा संदेशम और विशाखापत्तनम दर्पण न्यूज़ पेपर्स विशाखापत्तनम द्वारा संकलित।

Comments

Popular posts from this blog

पूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारों को निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने हेतु ईसीएचएस (ECHS) के फंड तत्काल जारी करने का किया अनुरोध किया …

.               डॉ राघवेंद्र मिश्रा कार्यपालक संपादक डॉ. चन्द्र शेखर, राष्ट्रीय संयोजक (वेटरन्स) ने माननीय रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री तथा रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग के सचिव को पत्र लिखकर पूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारों को निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने हेतु ईसीएचएस (ECHS) के फंड तत्काल जारी करने का अनुरोध किया है। ईसीएचएस में चल रही धन की कमी एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है, जिससे हमारे लाभार्थियों के उपचार में बाधाएं आ रही हैं। अपने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को ऐसे विलंब का सामना करते देखना अत्यंत पीड़ादायक है। मैं हमारे समुदाय के सभी सम्मानित एवं प्रभावशाली सदस्यों से निवेदन करता हूं कि वे अपने-अपने सांसदों से संपर्क करें और इस विषय को उचित स्तर पर उठाने का आग्रह करें। फंड जारी करना ओआईसी के नियंत्रण से बाहर है, फिर भी रोजाना मरीजों के सवालों और पीड़ा का सामना उन्हें ही करना पड़ रहा है। आइए, हम सभी मिलकर इस महत्वपूर्ण व्यवस्था के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करें। स्वास्थ्य हर परिवार और ह...