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"बी वी साई कुमार को उनके सेवानिवृत्ति पर एक छोटी सी कविता भेंट कर रहा हूं" ( के वी शर्मा संपादक विशाखापट्टनम)



 ईमानदारी और निष्ठा के साथ जाते-जाते दफ्तर,

 गुजर गया जिंदगी का प्यार सा सफर,

 फिर भी नहीं  राह पर  चलना अभी बाकी है,

 बीत गई अच्छी बुरी यादों के साथ सेवा कल की अवधि,

 पाई है अपने सेवानिवृत्ति की सबसे बड़ी उपलब्धि,

 फिर भी परिवार के साथ नहीं शुरुआत अभी बाकी है,

 सबको जान लिया अपने जीवन के तजुर्बे से,

 हर पल दिया अपनों  को चुरा के अपने पल से,

 फिर भी खुद को जानना अभी बाकी है,

 यही    है जीवन.  का    अंतिम.  रहस्य,

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