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*सेवा, श्रद्धा और समर्पण की जीवंत मिसाल — श्रीमती सरस्वतीबाई राठी*



 आज की तेज़ रफ्तार दुनिया में जहाँ स्वार्थ और व्यक्तिगत उपलब्धियाँ ही सफलता की कसौटी मानी जाती हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो निःस्वार्थ सेवा और समर्पण के माध्यम से समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायी शख्सियत हैं — श्रीमती सरस्वतीबाई राठी।

21 अगस्त 1936 को हैदराबाद (तेलंगाना) में जन्मी सरस्वतीबाई जी ने अपना संपूर्ण जीवन समाजसेवा को समर्पित किया है। वे श्रीराम नाम आराधना महिला मंडल की अध्यक्ष हैं, और इसके साथ ही वे जीव दया शिव मंडल, श्री गिर्राज अनुक्षेत्र और रामकृपा सत्संग सभा जैसी अनेक संस्थाओं से जुड़ी हैं। उनके कार्यों की व्यापकता केवल धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह सामाजिक, शैक्षणिक और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

उनके नेतृत्व में हैदराबाद में गर्मी के मौसम में हर वर्ष शीतल जल सेवा (प्याऊ), छाछ, ज्यूस व अल्पाहार वितरण का भव्य आयोजन होता है, जो पिछले 50 वर्षों से सतत जारी है। उनके द्वारा गौहत्या रोकने, गौशालाओं को सहयोग देने, विद्यार्थियों को नोटबुक-बैग वितरित करने जैसे अनेकों कार्य समय-समय पर किए जाते रहे हैं। वे हैदराबाद की कई गौशालाओं की आजीवन सदस्य भी हैं।

श्रीमती राठी न केवल एक संस्थाध्यक्ष हैं, बल्कि वे हर आयोजन में एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में शामिल होती हैं। यही उनका सबसे बड़ा गुण है — नेतृत्व में सेवा का भाव। आज जब समाजसेवा अधिकतर दिखावे का माध्यम बन गई है, तब सरस्वतीबाई राठी जैसी महिलाओं का समर्पण सच्ची प्रेरणा है।

उनका जीवन यह बताता है कि सेवा ही सच्चा धर्म है, और यही भारत की संस्कृति का मूल आधार भी। आने वाली पीढ़ियों को उनसे सीख लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

सरस्वतीबाई राठी जी को हमारा शतशः नमन और उनके सेवा-पथ पर चलने वाले हर प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

(Dr Sailesh Vania Bureo Chief Gujrat)

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