Skip to main content

सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है!

.                              के.वी.शर्मा, संपादक,
 विशाखापट्टनम: भारतीय बिस्मार्क सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मेरी मिट्टी मेरा देश राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में उनकी जयंती को 2014 से राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया है!  इसकी शुरुआत हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सत्ता में आने के बाद हुई!  उन्होंने आजादी के बाद बिखरे हुए सभी राज्यों को एक देश में मिलने के लिए अथक प्रयास किए हैं इसीलिए उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया!  इस  देशभर  मैं विभिन्न तरह के कार्यक्रमों को आयोजित किए जाते हैं और सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देने के बाद सी द्वारा परेड आयोजित की जाती है! 

 स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को भारतीय बिस्मार्क के रूप में माना गया है स्वतंत्रता के बाद पटेल ने यमुना जैसी विशाल स्वदेशी रियासतों  को भारत में विलय मैं महत्वपूर्ण  भूमिका निभाई!  भारत के लोह पुरुष कहलन वाले सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था!  राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पटेल भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री भी रहे!  उनके कार्य के परिणाम स्वरुप है हैदराबाद और जूनागढ़ जैसी रियासतों का भारत में विलय हुआ इसीलिए भारत सरकार ने 2014 से सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में   मनाना शुरू किया है'

 तब से, हर साल एक अलग थीम चुनी जाती है और समारोह आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष, थीम है 'मेरी मिट्टी...मेरा देश'। इसका मुख्य उद्देश्य देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देना और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देना है।

: इंग्लैंड से कानून की डिग्री पूरी करने के बाद भारत लौटे वल्लभभाई पटेल, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अंग के रूप में गांधीजी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन से प्रभावित थे। 1928 में, उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए करों के खिलाफ बारदोली में किसान आंदोलन शुरू किया। उन्होंने इस आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। तभी उन्हें सरदार नाम मिला। इसके अलावा, उन्हें बारदोली के नायक के रूप में भी जाना जाता था। उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया और लगभग 3,00,000 सदस्यों के साथ मिलकर लगभग 15 लाख रुपये का चंदा एकत्र किया।

: विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के तहत, उन्होंने कुलीन वर्ग द्वारा पहने जाने वाले सफेद कपड़ों में आग लगा दी। उसी दिन उन्होंने अपनी बेटी मणि और बेटे दहिया के साथ आजीवन खादी पहनने का फैसला किया। उन्होंने गुजरात में शराबखोरी, छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला। उन्होंने नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, वे भारत के संविधान के निर्माण के लिए गठित संविधान सभा के एक वरिष्ठ सदस्य थे।

पटेल ने अंबेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे एक किसान विरुद थे जिन्होंने भारतीय संविधान सभा में मौलिक अधिकार समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संसद में दो एंग्लो-इंडियन को नामित करने का प्रावधान भी प्रस्तावित किया।

Comments

Popular posts from this blog

मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी द्वारा आज भक्तमाल की कथा में श्री नारद जी के मोह का वर्णन *

.         विशाखापत्तनम: विशाखापत्तनम दर्पण समाचार: माया महा ठगिन हम जानी , माया एवं प्रेम के अंतर को समझते हुए आज कथा वक्ता मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी ने कहा काम, क्रोध,मद और लाभ ये चार नर्क के मार्ग हैं। माया ने नारद को भी चक्कर में डाल दिया और संत शिरोमणि बाबा नारद भी विवाह न हो पाने का वियोग नहीं सह पाए और श्री हरि विष्णु को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया जिसके कारण श्री हरि को श्री राम जी का अवतार लेकर सीता जी के वियोग में वन वन भटकना पड़ा ।  *हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृग नयनी ।* भगवान शिव एवं माता पार्वती के कथा को सुनाते हुए श्रीमती वक्ता ने कहा कि भगवान शिव ने सती को  सीता जी के रूप धारण करने पर उन्होंने सती जी का परित्याग कर दिया एवं बामांग में न बैठा कर अपने सम्मुख बैठाया जिसके कारण मां सती को अपने शरीर का त्यागना पड़ा ।     कथा मंच के कुशल खेवहिया पूर्वांचल कीर्तन मंडली एवं पूर्वांचल पूजा समिति विशाखापत्तनम के संस्थापक एवं सूत्रधार श्री भानु प्रकाश चतुर्वेदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा हम रहे न रहें पर ये ...