16 मेला आयोजित किया जाएगा। उनका जन्म बुधवार, 21 जनवरी 1869 को गोवा के अंजुना गाँव में हुआ था। वे बहुत शांत, प्रेममय और विनम्र स्वभाव के थे। वह 12 वर्ष के थे। तब से, उन्होंने खुद को अध्ययन के लिए समर्पित कर दिया और एक फादर बनने का फैसला किया। फादर बनने के बाद, 20 नवंबर 1927 को एक व्याख्यान देते समय वे गिर पड़े और उनकी मृत्यु हो गई। हम मुंबई, गोवा और दुनिया में उनके समाधि स्थलों को देख सकते हैं। आज से पच्चीस साल पहले, अग्नेल बाबा के अवशेषों को रेवरेंड फादर फैंको द्वारा गुजरात के वडताल धाम में लाया गया था। आज, महीने के दूसरे रविवार को, भक्तों का एक मानव झुंड उनकी समाधि पर इकट्ठा होता है जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा से बाबा के चरणों में प्रार्थना करता है, बाबा उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। 16 नवंबर 2025 को बाबा की 98वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गांधीनगर धार्मिक विभाग के पूज्य बिशप थॉमस मैकवान के करकमलों द्वारा महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी महंत रेव्ह फादर रुमाल्डो ने दी। साथ ही, उनके करकमलों द्वारा 'अग्नेल पंथ' पत्रिका का विमोचन भी किया जाएगा। गुजरात के कोने-कोने से बड़ी संख्या में भक्तगण एकत्रित होंगे। सभी रोगों और व्याधियों की एकमात्र औषधि बाबा अग्नेलो हैं। रिपोर्ट डॉ. शैलेश वानिया 'शैल' खंभोलज साहित्य सेवा राष्ट्रीय अध्यक्ष आणन्द गुजरात
. विशाखापत्तनम: विशाखापत्तनम दर्पण समाचार: माया महा ठगिन हम जानी , माया एवं प्रेम के अंतर को समझते हुए आज कथा वक्ता मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी ने कहा काम, क्रोध,मद और लाभ ये चार नर्क के मार्ग हैं। माया ने नारद को भी चक्कर में डाल दिया और संत शिरोमणि बाबा नारद भी विवाह न हो पाने का वियोग नहीं सह पाए और श्री हरि विष्णु को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया जिसके कारण श्री हरि को श्री राम जी का अवतार लेकर सीता जी के वियोग में वन वन भटकना पड़ा । *हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृग नयनी ।* भगवान शिव एवं माता पार्वती के कथा को सुनाते हुए श्रीमती वक्ता ने कहा कि भगवान शिव ने सती को सीता जी के रूप धारण करने पर उन्होंने सती जी का परित्याग कर दिया एवं बामांग में न बैठा कर अपने सम्मुख बैठाया जिसके कारण मां सती को अपने शरीर का त्यागना पड़ा । कथा मंच के कुशल खेवहिया पूर्वांचल कीर्तन मंडली एवं पूर्वांचल पूजा समिति विशाखापत्तनम के संस्थापक एवं सूत्रधार श्री भानु प्रकाश चतुर्वेदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा हम रहे न रहें पर ये ...

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