Skip to main content

फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता माह "हर साँस मायने रखती है: मेडिकवर इस नवंबर में फेफड़ों के कैंसर के बारे में अधिक जागरूकता का आह्वान करता है"

.                             के.वी.शर्मा, संपादक,
विशाखापत्तनम दर्पण समाचार  : नवंबर फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, जो दुनिया भर में सबसे घातक लेकिन सबसे ज़्यादा रोके जा सकने वाले कैंसरों में से एक पर प्रकाश डालने का समय है। मेडिकवर हॉस्पिटल्स भारत में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में खतरनाक वृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है—न केवल धूम्रपान करने वालों में, बल्कि वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने वाले धूम्रपान न करने वालों में भी। फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण बना हुआ है। भारत में, 70% से ज़्यादा मामलों का निदान उन्नत अवस्था में होता है, जिसका मुख्य कारण पुरानी खांसी, बिना किसी स्पष्ट कारण के वज़न कम होना, या साँस लेने में तकलीफ़ जैसे शुरुआती लक्षणों की देर से पहचान है। मेडिकवर हॉस्पिटल्स के वरिष्ठ सलाहकार मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रामावथ देव ज़ोर देकर कहते हैं, "जल्दी पता लगाना ही कुंजी है। कम खुराक वाले सीटी स्कैन और लगातार श्वसन संबंधी लक्षणों का समय पर मूल्यांकन, शीघ्र निदान, बेहतर उपचार परिणाम और लंबी जीवन प्रत्याशा का कारण बन सकता है।" मेडिकवर के ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ शहरी वायु प्रदूषण, व्यावसायिक जोखिम और तंबाकू के सेवन के फेफड़ों के स्वास्थ्य पर बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डालते हैं। अस्पताल निवारक जाँच, धूम्रपान निषेध और वायु गुणवत्ता के बारे में जागरूकता की वकालत करता है, जिससे फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है। अपनी उन्नत निदान पद्धति, बहु-विषयक ऑन्कोलॉजी टीमों और साक्ष्य-आधारित कैंसर देखभाल के माध्यम से, मेडिकवर फेफड़ों के कैंसर से करुणा और सटीकता के साथ लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है। अस्पताल के बयान में कहा गया है, "अपने फेफड़ों की रक्षा का मतलब है अपने जीवन की रक्षा करना - इस नवंबर, आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें।"

Comments

Popular posts from this blog

मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी द्वारा आज भक्तमाल की कथा में श्री नारद जी के मोह का वर्णन *

.         विशाखापत्तनम: विशाखापत्तनम दर्पण समाचार: माया महा ठगिन हम जानी , माया एवं प्रेम के अंतर को समझते हुए आज कथा वक्ता मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी ने कहा काम, क्रोध,मद और लाभ ये चार नर्क के मार्ग हैं। माया ने नारद को भी चक्कर में डाल दिया और संत शिरोमणि बाबा नारद भी विवाह न हो पाने का वियोग नहीं सह पाए और श्री हरि विष्णु को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया जिसके कारण श्री हरि को श्री राम जी का अवतार लेकर सीता जी के वियोग में वन वन भटकना पड़ा ।  *हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृग नयनी ।* भगवान शिव एवं माता पार्वती के कथा को सुनाते हुए श्रीमती वक्ता ने कहा कि भगवान शिव ने सती को  सीता जी के रूप धारण करने पर उन्होंने सती जी का परित्याग कर दिया एवं बामांग में न बैठा कर अपने सम्मुख बैठाया जिसके कारण मां सती को अपने शरीर का त्यागना पड़ा ।     कथा मंच के कुशल खेवहिया पूर्वांचल कीर्तन मंडली एवं पूर्वांचल पूजा समिति विशाखापत्तनम के संस्थापक एवं सूत्रधार श्री भानु प्रकाश चतुर्वेदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा हम रहे न रहें पर ये ...