Skip to main content

वाल्टेयर मंडल ने 'वंदे मातरम' के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन आयोजित किया*

 

                             के.वी.शर्मा, संपादक,
पूर्वी तट रेलवे के वाल्टेयर मंडल ने आज मंडल के विभिन्न स्टेशनों और कार्यालयों में राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन आयोजित किया। इस पहल में रेल कर्मचारियों, आम जनता और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे देशभक्ति की भावना प्रबल हुई।

यह कार्यक्रम 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित राष्ट्रव्यापी समारोह के एक भाग के रूप में आयोजित किया गया था। विशाखापत्तनम स्थित मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में मंडल रेल प्रबंधक श्री ललित बोहरा ने गायन का नेतृत्व किया, जिसमें बड़ी संख्या में मंडल अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय परिसर और मंडल के कई रेलवे स्टेशनों पर इस गीत की गूंज सुनाई दी। विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन पर भी पूरे गीत का सामूहिक गायन आयोजित किया गया।

भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित एक भव्य समारोह में 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक घटना के महत्व को दर्शाते हुए इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। यह समारोह 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक देश भर में जारी रहेगा, जिसमें इस प्रतिष्ठित गीत की चिरस्थायी विरासत पर प्रकाश डाला जाएगा, जिसने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया और आज भी गहन राष्ट्रीय गौरव और एकता का भाव जगाता है।

बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित 'वंदे मातरम' की रचना 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के पावन अवसर पर हुई थी। यह गीत पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'आनंदमठ' के एक भाग के रूप में प्रकाशित हुआ था। मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक बताते हुए मनाया जाने वाला 'वंदे मातरम' भारत की एकता, भक्ति और आत्म-सम्मान की भावना का एक स्थायी प्रतीक है।

Comments

Popular posts from this blog

मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी द्वारा आज भक्तमाल की कथा में श्री नारद जी के मोह का वर्णन *

.         विशाखापत्तनम: विशाखापत्तनम दर्पण समाचार: माया महा ठगिन हम जानी , माया एवं प्रेम के अंतर को समझते हुए आज कथा वक्ता मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी ने कहा काम, क्रोध,मद और लाभ ये चार नर्क के मार्ग हैं। माया ने नारद को भी चक्कर में डाल दिया और संत शिरोमणि बाबा नारद भी विवाह न हो पाने का वियोग नहीं सह पाए और श्री हरि विष्णु को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया जिसके कारण श्री हरि को श्री राम जी का अवतार लेकर सीता जी के वियोग में वन वन भटकना पड़ा ।  *हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृग नयनी ।* भगवान शिव एवं माता पार्वती के कथा को सुनाते हुए श्रीमती वक्ता ने कहा कि भगवान शिव ने सती को  सीता जी के रूप धारण करने पर उन्होंने सती जी का परित्याग कर दिया एवं बामांग में न बैठा कर अपने सम्मुख बैठाया जिसके कारण मां सती को अपने शरीर का त्यागना पड़ा ।     कथा मंच के कुशल खेवहिया पूर्वांचल कीर्तन मंडली एवं पूर्वांचल पूजा समिति विशाखापत्तनम के संस्थापक एवं सूत्रधार श्री भानु प्रकाश चतुर्वेदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा हम रहे न रहें पर ये ...