पहले इंसान ने अपनी बेसिक ज़रूरतों को पूरा करने के बारे में सोचा और उन्हें पूरा किया, फिर धीरे-धीरे उसने अपनी ख्वाहिशों को मज़बूत किया और नतीजा यह हुआ कि आज वह ऐसी जगह पहुँच गया है जहाँ से वह वापस जाने के बारे में सोच भी नहीं सकता।
आज वह अपनी हर ज़रूरत पूरी कर सकता है, हर प्रॉब्लम सॉल्व कर सकता है, जो चीज़ें कभी नामुमकिन या सोच से भी परे थीं, आज वे असलियत में हैं और उन्हें चुटकी में करना मुमकिन है।
लेकिन इंसान ने भगवान से यह अधिकार भी छीन लिया। आज वह अपने ज्ञान, जानकारी और टेक्नोलॉजी की मदद से अपनी ज़िंदगी को सुखद और आसान बना रहा है। विनाश के लिए एटॉमिक बम का आविष्कार किया है और अमरता के लिए लंबी उम्र के तरीके भी खोजे हैं
ऐसा लगता है कि हम प्रकृति और मनुष्य को बनाने वाले स्वयं ईश्वर के गुणों का वर्णन नहीं कर रहे हैं, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों के गुणों का वर्णन कर रहे हैं। य फिर भैश्वर अरसान की भय है है बाषण है भाष भाष है भगवान के पास चमत्कारी शक्तियां भी हैं जिनसे वह इंसानों की मदद करते हैं तो इसका क्या मतलब है कि कुछ सालों बाद इंसान को भगवान की ज़रूरत नहीं रहेगी, जिसकी वह हर दिन पूजा करता है? या इंसान खुद भगवान बन जाएगा?
जी हां, साइंटिस्ट्स का मानना है कि अगर हम अभी के हालात को देखें तो जिस भगवान की हम पूजा करके आशीर्वाद लेते हैं, उन्हें अपना भगवान मानते हैं, कुछ ही सालों में हम इंसान उनकी जगह ले सकते हैं और खुद "भगवान" बन सकते हैं।आज मैं आपका ध्यान इस विषय पर खींचने की कोशिश कर रहा हूँ कि क्या सच में कोई इंसान भगवान की जगह ले सकता है? अगर या, तो अस्चे आदार क्या हो मागुण हैं।इतिहासकारों का मानना है कि अगले 200 सालों में इंसान का वजूद खत्म हो जाएगा और वह खुद भगवान बन जाएगा। वह हर उस ताकत का मालिक बन जाएगा जिस पर आज सिर्फ और सिर्फ भगवान का अधिकार है।अपनी जिज्ञासा की वजह से वह ऐसी टेक्नीक सीख लेगा जिससे न सिर्फ़ वह दूसरों को खत्म कर पाएगा, बल्कि उसे खुद को बनाने और खत्म करने की ताकत भी मिल जाएगी।
मौत, जिस पर आज सिर्फ़ यमराज का अधिकार माना जाता है, लेकिन इंसान उस पर अपना अधिकार जमाएगा। वो खुद तय कर पाएगा कि कब और कैसे अपनी जान देनी है। वो जब तक जीना चाहेगा, जिएगा और फिर अपनी मर्ज़ी से अपनी जान देगा।यरुशलम में हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर युवल नोआ हरारी का कहना है कि कुछ सालों में इंसान भगवान की ज़िम्मेदारी ले लेगा। लेकिन यह सब वही कर सकता है जिसके पास पैसे की कोई कमी न हो। निश्चित रूप से ये इंस्टॉलेशन सच में हैरान करने वाले हैं।युवल के अनुसार, यह सब नए आविष्कारों के साथ-साथ तकनीकी क्षेत्र में हो रहे बदलावों के कारण संभव होगा।
इसके अलावा, बायो-टेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग भी इसके लिए फायदेमंद होगी। लेकिन एक बात ध्यान देने वाली है कि इन सबके लिए आपको बहुत ज़्यादा पैसे खर्च करने होंगे।इसका मकसद यह है कि सिर्फ़ अमीर और काबिल लोग ही अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जी सकेंगे, और सभी टेक्नोलॉजी और सुविधाओं पर अपना कंट्रोल बना सकेंगे।अगर प्रोफेसर हरारी की बात सच है, उनका लगाया अनुमान ठोस है, तो 150 साल में आने वाली पीढ़ी की ताकत का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।
लेकिन अफ़सोस, हम उस इंसान को नहीं देख पाएंगे जो भगवान से मुकाबला करता है, न ही हम उन हालात का अनुभव कर पाएंगे। हाँ, अगर पुनर्जन्म का कॉन्सेप्ट सच है तो यह मुमकिन है।तो फिर वेट कीजिए अपने अगले जन्म का...क्या पता आपको भी इन रोमांचक हालातों का साक्षी बनने का मौका मिल जाए। के. वी. शर्मा एडिटर विशाखा संदेशम और विशाखापत्तनम दर्पण हिंदी पत्रिका पेपर्स विशाखापत्तनम द्वारा संकलित

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