Skip to main content

भक्तमाल कथा के चौथे दिवस में पूज्या प्रियंका पांडेय जी ने गोस्वामी तुलसी दास,संत कबीर,संत रैदास, अमरीश, और भक्त प्रहलाद की कथाओं का उल्लेख किया***********

 श्रीमती मानस गंगा ने कहा श्री तुलसी दास जी के माता पिता हुलसी एवं आत्मा राम दूबे बचपन में ही गोलोक वासी हो गए जीवन में रत्नावली के साथ विवाह होने पर उन्हें पत्नी से अटूट प्रेम था ,उनसे मिलने की प्रबल इच्छा के कारण शव को नौका और सर्प को रस्सी समझ कर  रात्रि बारह बजे उनके मैके पहुंचे और आंसू से पैर धो डाले 

परंतु पत्नी के धिक्कारने पर उन्हें पत्नी होते हुए मां कहकर प्रणाम किया और घर त्याग दिया कथा वक्ता ने जिन्न एवं काशी स्थित श्री संकट मोचन धाम तथा चित्रकूट का भी वर्णन किया और कहा 

 *चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।

तुलसी दास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर ।।*संत रैदास हरिजन परिवार में एवं कबीर दास जुलाहे के घर पैदा होने व पलने के बावजूद श्री हरि के महान भक्त हुए ।

कथा के अंत में हिरणाक्ष, से पृथ्वी की रक्षा ,और भक्त प्रहलाद , होलिका एवं हिरणकश्यपु की कथा से देवी मानस गंगा ने भक्तों के मन को मोह लिया ।

और भगवान के वराह और नरसिंह अवतार का भी वर्णन किया।

                  डॉ राघवेंद्र मिश्रा कार्यपालक संपादक

Comments

Popular posts from this blog

मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी द्वारा आज भक्तमाल की कथा में श्री नारद जी के मोह का वर्णन *

.         विशाखापत्तनम: विशाखापत्तनम दर्पण समाचार: माया महा ठगिन हम जानी , माया एवं प्रेम के अंतर को समझते हुए आज कथा वक्ता मानस गंगा पूज्या प्रियंका पांडेय जी ने कहा काम, क्रोध,मद और लाभ ये चार नर्क के मार्ग हैं। माया ने नारद को भी चक्कर में डाल दिया और संत शिरोमणि बाबा नारद भी विवाह न हो पाने का वियोग नहीं सह पाए और श्री हरि विष्णु को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया जिसके कारण श्री हरि को श्री राम जी का अवतार लेकर सीता जी के वियोग में वन वन भटकना पड़ा ।  *हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृग नयनी ।* भगवान शिव एवं माता पार्वती के कथा को सुनाते हुए श्रीमती वक्ता ने कहा कि भगवान शिव ने सती को  सीता जी के रूप धारण करने पर उन्होंने सती जी का परित्याग कर दिया एवं बामांग में न बैठा कर अपने सम्मुख बैठाया जिसके कारण मां सती को अपने शरीर का त्यागना पड़ा ।     कथा मंच के कुशल खेवहिया पूर्वांचल कीर्तन मंडली एवं पूर्वांचल पूजा समिति विशाखापत्तनम के संस्थापक एवं सूत्रधार श्री भानु प्रकाश चतुर्वेदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा हम रहे न रहें पर ये ...